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अनुभूति में रामकृष्ण द्विवेदी 'मधुकर' की रचनाएँ—

अंजुमन में-
उफनाए नद की कश्ती
बढ़ाया प्रेम क्यों इतना

शिक्षा का संधान चाहिये

गीतों में-
बादल गीत

मोर पिया अब मुझसे रीझे

छंदमुक्त में—
किरन
जलकोश
जीवन सूक्त
दृष्टि
देखा है
नारी
प्रभात: दो रंग
पाँच छोटी कविताएँ
बुलबुला
साम्यावस्था
सावन

संकलन में-
हुए क्यों पलाश रंग रंगत विहीन

 

दृष्टि

चौराहे के मध्य वृत्त में बनी
सिर झुकाए पंछी की वह मूर्ति
किसी को
कुछ खाती हुई नज़र आती है
तो किसी को
अपने शिशुओं के लिए दाना उठाती हुई
किसी को
दुख से पीड़ित हो सिर झुकाए हुए
तो किसी को
खुशी में इतराती नज़र आती है
किसी को
मुंह छिपाकर भागती हुई
तो किसी को
नमन में तल्लीन नज़र आती है
वह तो वही है
जो है
सदैव
फिर भी वह
किसी को कुछ
तो किसी को
कुछ और नज़र आती है

१ नवंबर २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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