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अनुभूति में रामकृष्ण द्विवेदी 'मधुकर' की रचनाएँ—

अंजुमन में-
उफनाए नद की कश्ती
बढ़ाया प्रेम क्यों इतना

शिक्षा का संधान चाहिये

गीतों में-
बादल गीत

मोर पिया अब मुझसे रीझे

छंदमुक्त में—
किरन
जलकोश
जीवन सूक्त
दृष्टि
देखा है
नारी
प्रभात: दो रंग
पाँच छोटी कविताएँ
बुलबुला
साम्यावस्था
सावन

संकलन में-
हुए क्यों पलाश रंग रंगत विहीन

 

किरन

अंधेरा और उजाला
दो भ्रम हैं
अंधेरे का कालापन
और
उजाले का उजलापन
भी भ्रम ही है
अंधेरे में अंधापन
और
उजाले में दृष्टि प्रवाह
भी भ्रम ही है
यदि नहीं तो
अंधेरे में किरन को
रास्ता कैसे मिलता है
और
उजाले में अंधेरा
रास्ता क्यों भटकता है

१ अगस्त २००६

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