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अनुभूति में मानोशी चैटर्जी की रचनाएँ-

नये गीतों में-
एक तारा
एक दिन हम
गीत तुम्हारे
जीवन मिला
सीपी सागर में

अंजुमन में—
अपनी निशानी दे गया
कोई तो होता
लाख चाहें
ये जहाँ मेरा नहीं है
हज़ार किस्से सुना रहे हो

गीतों में
पतझड़ की पगलाई धूप
बदले नयन
शीत का आँचल
शेष समय 

होली गीत 

कविताओं में—
आज कुछ माँगती हूँ प्रिय
एक उड़ता ख़याल–दो रचनाएँ
कुछ जीर्ण क्षण
चलो
चुनना
ताकत
पुरानी बातें
मेरा साया
लौ और परवाना
स्वीकृति

संकलन में—
दिये जलाओ- फिर दिवाली है
होली है- गुजरता है वसंत
फागुन के रंग- मौसमी हाइकु

  गीत तुम्हारे

मेरे अधरों ने गाये जो गीत तुम्हारे
कई युगों के बिखरे सुर
संगीत हो गए

दो साँसों की ध्वनियों
ने मिलकर बाँधे सुर
हृदयों के दो तार छिड़े गाने को आतुर
कई समंदर पार क्षितिज में उठीं तरंगें
हुआ सृजित तब अनजाने ही राग इक मधुर
थिरके दो मन एक साथ जब
अहम खो गए

आँखें पढ़ लेती हों
जैसे मन की भाषा
मौन कथाओ में छुपती विस्तृत परिभाषा
लिखा हुआ प्रारब्ध कहीं कब बदल सका है
फिर भी जलती रहती चिंगारी सी आशा
लाँघ नियति के बन्ध, पथिक दो,
एक हो गए

मिश्रित से जो भाव
संजोये दो हृद चंचल
जीवन भर की संचित निधि वे स्मृतियों के पल
हँसी-ख़ुशी के छंद बिखरते खिलखिल करते
मन के इक कोने में पलते चिंतित से कल
पर निश्चय के आगे संशय
कहीं खो गए

१ अक्टूबर २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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