अनुभूति में
मानोशी चैटर्जी की रचनाएँ-
नए गीतों में-
पतझड़
की पगलाई धूप
बदले नयन
शीत का आँचल
शेष समय
अंजुमन में—
अपनी
निशानी दे गया
कोई तो होता
लाख चाहें
ये जहाँ मेरा नहीं है
हज़ार किस्से सुना रहे हो
गीतों में—
होली
गीत
कविताओं में—
आज कुछ
माँगती हूँ प्रिय
एक उड़ता ख़याल–दो रचनाएँ
कुछ जीर्ण क्षण
चलो
चुनना
ताकत
पुरानी
बातें
मेरा साया
लौ और परवाना
स्वीकृति
संकलन में—
दिये
जलाओ- फिर दिवाली है
होली है-
गुजरता है वसंत
फागुन के रंग-
मौसमी हाइकु |
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बदले नयन
बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला
हूक प्रेम की शूल वेदना
अंतर बेधी मौन चेतना
रोम-रोम में
रमी बसी छवि
हर कण अश्रु सिक्त हो निखरा
आड़ी-तिरछी रेखाओं का
धूमिल-धुंधला अंग न बदला
बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला
मिथ्या छल के इंद्रधनुष में
बंध के रेशा-रेशा पागल
क्षितिज मिलन की
आस में जोगी
आशाओं का प्यासा सागर
दुनिया छोड़ी लाज भुलाई
युग-युग से ये ढंग न बदला
बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला
२६ मार्च २०१२
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