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अनुभूति में मानोशी चैटर्जी की रचनाएँ-

नए गीतों में-
पतझड़ की पगलाई धूप
बदले नयन
शीत का आँचल
शेष समय 

अंजुमन में—
अपनी निशानी दे गया
कोई तो होता
लाख चाहें
ये जहाँ मेरा नहीं है
हज़ार किस्से सुना रहे हो

गीतों में

होली गीत 

कविताओं में—
आज कुछ माँगती हूँ प्रिय
एक उड़ता ख़याल–दो रचनाएँ
कुछ जीर्ण क्षण
चलो
चुनना
ताकत
पुरानी बातें
मेरा साया
लौ और परवाना
स्वीकृति

संकलन में—
दिये जलाओ- फिर दिवाली है
होली है- गुजरता है वसंत
फागुन के रंग- मौसमी हाइकु

 

कुछ जीर्ण क्षण

समय का वो भूला पथिक
खड़ा मेरे आज के द्वार पर
कुछ क्षण उधार लेने
भ्रमित सा
असंपूर्ण कहानी के पात्र जैसा
उस स्वर्णिम स्वप्न के
मधुर विषाक्त क्षण को
आमंत्रण दे रहा
जानबूझ कर
बार बार उस जीर्ण क्षण में
वापस जाने को चंचल
उस वृद्धा में रूका हुआ
भूले पथिक का जीवन
स्मृति से लथपथ
परिणति से अनभिज्ञ
निस्तार कैसे पायेगा मन
पदचिह्नों को पहचानने
की चेष्टा व्यर्थ होगी
कि सामने की उजली किरण
के पीछे की छाया होती है
काली अंधेरी ठंडी निष्प्राण।



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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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