|
अगर किसी रोज़?
अगर किसी रोज़
ब्लैक बोर्ड, तुम्हारी चॉक से सनी उँगलियाँ चूम ले
और तुमसे पूछे
शातिर निगाहों का भेद
मुस्कुराहट का गुण धर्म
अरमानों की लम्बाई चौड़ाई
और इन्तज़ार का वज़न
बतौर एक विज्ञान की छात्रा,
तुम उसे क्या जवाब दोगी?
अगर किसी रोज?
कोई सख्त़ जान किनारा, तुम्हारा आँचल थामकर
तुम्हें अपना रास्ता बदलने पर मजबूर कर दे
और तुमसे पूछे
कैसे लाती हो तुम बर्फ की चट्टाने
घाटियों से समंदर तक
कहाँ से पाई तुमने यह गुनगुनाहट
ये पुलक, ये प्रकम्प थरथराहट
और प्रवाह
बतौर एक नदी, तुम उसे क्या जवाब दोगी?
अगर किसी रोज
मुन्सिपालिटी वाले स्ट्रीट लाइट के खम्बों पर
ट्यूब लाइट की जगह जुगनू फिट कर जाएँ
और सड़क की रफ्तार
कोहरे में गुम हो जाए
ऐसे में
कोई अजनबी सा लड़का
अपने बेचैन हाथों से
तुम्हारी मोपेड का हैंडल थामकर
तुमसे कहे
मुझे आपसे बेहद मुहब्बत है
बतौर एक सयानी लड़की
तुम उससे क्या जवाब दोगी?
|