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भीतर कोई है
हमसे कुछ बडी है हमारी कमीज़
वैसे ही जैसे लिहाफ़ से बडा है आकाश
हमने पहनी है कमीज़
ओढ़ लिये है लिहाफ़ और आकाश
मेरा ख्याल है
कमीज़, लिहाफ़, और आकाश के भीतर
मै हूँ, जो सोचता है
पर कौन जाने
मै भी हूँ आकाश
मेरे भीतर भी है कोई लिहाफ़
और शायद कमीज़ भी
कोई है जिसने पहन लिया है जिस्म
कोई है जो सोचता है
जो सचेता है
५ सितंबर २०११
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