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उनमें वादों को निभाने का हुनर होता है
उसका नहीं है हमसे सरोकार दोस्तों
ये कहाँ ज़िंदगी भी ठहरी है

 

उनमें वादों को निभाने का हुनर होता है

उनमें वादों को निभाने का हुनर होता है,
जिनमें खुद को भी मिटाने का जिगर होता है।

जब से थामी है कलम हमने अपने हाथों में,
अपना हर रोज़ ही तलवार पे सर होता है।

वक्त से तेज़ जो चलते हैं नतीजा उनका,
हमने देखा है कि हर बार सिफ़र होता है।

वो जो निकले हैं लिए बोझ अपने काँधों पे
क्या बताएँगे भला कैसा सफ़र होता है।

दिल से कहते हो मगर इतना ज़हन में रखना,
लोग कहते हैं कि लफ़्ज़ों में असर होता है।

तेरे होठों की हँसी से वो परेशाँ 'त्यागी'
कह तो देता है नहीं होता, मगर होता है'।

9 जून 2006

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