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चिराग
कोई भी शै, यहाँ, कायम नहीं सदा के लिए, हवा ने, उसकी रौशनी भी बुझा ही डाली, पर वो एक चिराग है, क्या, यही काफ़ी नहीं है?
24 मार्च 2007
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