अनुभूति में संदेश त्यागी की रचनाएँ-
नई रचनाएँ-
कागज़ पर
चिराग
जिसमें एक दास्तान है यारों
परिवर्तन
सीमा
हमको ऐसी सज़ा दीजिए
क्षितिज
गीतों में-
कुछ कदम हम चलें
घोर यह अँधेरा है
ये सब कुदरत की बातें हैं
व्यंग्य में-
आधुनिक गीता
अंजुमन में-
उनमें वादों को निभाने का हुनर होता है
उसका नहीं है हमसे सरोकार दोस्तों
ये कहाँ ज़िंदगी भी ठहरी है
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क्षितिज
जितनी दूर
दिखाई देता है
वह
सुंदर
मनोरम स्थान,
जहाँ
मिलते हैं
ज़मीन, आसमान
उतनी ही दूर है अभी
गांधी
तेरे सपनों का
रामराज
और
असली आज़ाद हिंदुस्तान।
24 मार्च 2007
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