कुछ कदम हम चलें
कुछ कदम हम चलें कुछ कदम तुम चलो
बीच की सारी दीवारें गिर जाएँगी
फिर मेरी आँख में झाँक कर देखना
तुमको अपनी ही सूरत नज़र आएगी
कुछ कदम हम चलें कुछ कदम तुम चलो।
फूल खिलते यहाँ फूल खिलते वहाँ
पर सुगंध उनकी जाने गई है कहाँ
हम हवा का अगर झोंका बन के बहें
खुशबू फिर से चमन में बिखर जाएगी
कुछ कदम हम चलें कुछ कदम तुम चलो।
हाल जैसे इधर हाल वैसे उधर
मौत आती नहीं ज़िंदगी दर बदर
मैं तलाशूँ तेरी तू तलाशे मेरी
ज़िंदगी हमसे बचकर किधर जाएगी
कुछ कदम हम चलें कुछ कदम तुम चलो।
गीत गर प्यार के गुनगुनाते रहें
वक्त तकरार के हम भुलाते रहें
सरहदें ख़त्म हों अम्न की रस्म हो
अपनी तकदीर 'त्यागी' सँवर जाएगी
कुछ कदम हम चलें कुछ कदम तुम चलो।
9 जून 2006
|