मैंने
तुम्हें
मैंने तुम्हें आँखों
में लिया
शहर से बाहर निकल गया
वहाँ चाँद था और दूर शहर की झिलमिल
हम चुप थे जैसे सब कुछ चुप था
वहाँ इंतज़ार था
जिसमें हम जी रहे थे
तुम रात थीं और मैं दूर चमकता तारा
तुम मुझे तरसी आँखों से देखती रहीं
और धरती पर रात बन सोकर गईं
मैं तारे से सूरज के
इंतज़ार में बदल गया
तुम उठती हुई एक लड़की थीं
जिसने ठंडी हवाओं से मुँह धोया
जब हम एक दूसरे को देख
रहे थे
ठीक उसी समय हम प्यार भरी सुबह हो गए
सूरज पुलिस की ड्रेस पहन कर आया
बोला कोई भी दुनिया में चौबीस घंटे प्यार नहीं करेगा
फिर भरपूर चमक उठा
और हम अपने काम पर चले गए
५ जनवरी २००९ |