दिल
की दुनिया
हम दिल की दुनिया लिए
फिरते हैं
मगर यों हाथ में नहीं देते
जो दिल जैसा बने
वो खुले हाथों से ले जाए
चलो वो दिल बादलों में
हैं
खूल सको तो छोड़ो आसमां में
गिरने का क्या डर
चलो बस्तियाँ से परे जंगलों में
इस बेईमानों को क्या
छुपाएँ
जो दिल यहाँ धड़कता था
वही वहाँ था
बंद भी हो जाए तो उनमें धड़केगा
१६ मई २००६ |