अनुभूति में अमरेन्द्र
सुमन
की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने ही लोगों को खिलाफ
एक पागल
बुचुआ माय
छंदमुक्त में-
अकाल मृत्यु
अगली पंक्ति में बैठने के क्रम में
उँगलियों को मुट्ठी में तब्दील करने की
जरुरत
एक ही घर में
धन्यवाद मित्रो
नाना जी का सामान
नुनुवाँ की नानी माँ
फेरीवाला
रोशनदान
व्यवस्था-की-मार-से-थकुचाये-नन्हें-कामगार-हाथों-के-लिये
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रोशनदान
एक कमरे में
उसकी खुबसूरती के अलावा
बहुत सारी उपयोगिताएँ हैं इसकी
गर्मियों में
पसीने से सराबोर
शरीर को
इससे गुजरती हवाएँ पहुँचाती हैं आराम
सर्दियों में
ठिठुरते देह के लिये
गुनगुनी धूप
और आंतरिक उर्जा
आकाश की ऊँचाइयों में
उड़ रहे परिंदों की स्वच्छन्दता का
एकाकीपन में अवलोकन
घर से बाहर न निकल पाने की
व्याकुलता भरी मजबूरी में
जीवन-पर्यन्त साथ निभाने की कसमें
खा चुके प्रेमी युगल की आपसी वार्ताएँ
इन्हीं रोशन दानों से होकर गुजरती हैं
५ दिसंबर २०११
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