अनुभूति में अमरेन्द्र
सुमन
की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने ही लोगों को खिलाफ
एक पागल
बुचुआ माय
छंदमुक्त में-
अकाल मृत्यु
अगली पंक्ति में बैठने के क्रम में
उँगलियों को मुट्ठी में तब्दील करने की
जरुरत
एक ही घर में
धन्यवाद मित्रो
नाना जी का सामान
नुनुवाँ की नानी माँ
फेरीवाला
रोशनदान
व्यवस्था-की-मार-से-थकुचाये-नन्हें-कामगार-हाथों-के-लिये
|
|
एक ही घर में
एक ही घर में
हो सकते हैं बहुत सारे लोग
भिन्न-भिन्न किरदारों के पोषक
हथेली की उँगलियों की मानिंद
जमीन की हकीकत से परिचित
और कल्पनाओं की ऊँची उड़ान के वाहक
अँट जाते हैं एक छोटे घर में
एक ही घर से बँटे छोटे-छोटे कई परिवार
सावधि सोंच वाले स्वतंत्र मन
अनुभवी और अनुभवहीन
परपोषी व परजीवी समस्याएँ
कितना कठिन है छद्म वृत्तियों से युक्त-अनुपयुक्त
लोगों को पढ़ पाना एक ही घर में
जैसे आकाश में उड़ रहे पक्षियों के अगले पड़ाव की
संभावित प्रत्याषा में
बहेलियों का मुस्काना
५ दिसंबर २०११
|