अनुभूति में अमरेन्द्र
सुमन
की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने ही लोगों को खिलाफ
एक पागल
बुचुआ माय
छंदमुक्त में-
अकाल मृत्यु
अगली पंक्ति में बैठने के क्रम में
उँगलियों को मुट्ठी में तब्दील करने की
जरुरत
एक ही घर में
धन्यवाद मित्रो
नाना जी का सामान
नुनुवाँ की नानी माँ
फेरीवाला
रोशनदान
व्यवस्था-की-मार-से-थकुचाये-नन्हें-कामगार-हाथों-के-लिये
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धन्यवाद मित्रो !
पूरी संवेदनाओं के साथ
अलग-अलग दौर में
सहानुभूति रखने, सहयोग देनेवाले
मित्रों धन्यवाद!
स्कूल के दिनों में
तहेदिल से शुक्रिया उन दोस्तों को
पूरा का पूरा वक्त जिन्होंने
मेरे लिये खर्च किया
दुःख की घड़ी हो अथवा मुस्कुराहटों के पल
उस एक दोस्त की भी
जिसने साथ दिया भाई की तरह
हर एक मुकाम पर
नहीं जानने वाले प्रश्नों के हल ढूँढ़ता रहा
जो रात भर मेरे लिये
कॉलेज के दिनों के दौरान
कुछेक ऐसे अनाम मित्रों को भी धन्यवाद
सायकिल की पीठ पर बिठा
पहुँचा जाया करते थे जो घंटी पूर्व क्लासरुम
आज के बाजारवाद में
जबकि हर चीज बिकाऊ व कम टिकाऊ रह गयी है
स्मरण के एलबम में कैद
उस महिला मित्र को धन्यवाद
पासकोर्स में इतिहास के नोट्स मुफ्त में
उपलब्ध कराने की
जिसने जहमत उठा रखी थी मेरे लिये
५ दिसंबर २०११
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