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अनुभूति में मरेन्द्र सुमन की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपने ही लोगों को खिलाफ
एक पागल
बुचुआ माय

छंदमुक्त में-
अकाल मृत्यु
अगली पंक्ति में बैठने के क्रम में
उँगलियों को मुट्ठी में तब्दील करने की जरुरत
एक ही घर में
धन्यवाद मित्रो
नाना जी का सामान
नुनुवाँ की नानी माँ
फेरीवाला
रोशनदान

व्यवस्था-की-मार-से-थकुचाये-नन्हें-कामगार-हाथों-के-लिये

 

अगली पंक्ति में बैठने के क्रम में

लड़के हाथ तुड़वा बैठते
फेंक दी जाती बेंच पर रखी किताबें
भुगतनी पड़ती सबसे पीछे खड़ा रहने की
तिलमिलाती सजा
अगली पंक्ति में बैठने के क्रम में

गाँव की पाठशाला हो या फिर
कॉलेज तक की पढ़ाई
अगली पंक्ति में बैठने का मजा
उन दिनों कुछ और ही होता

फायदे की वनिस्वत
अगली पंक्ति में बैठने वालों को
यूँ तो घाटे ही हुआ करते
मसलन
टास्क न पूरा करने वाले छात्रों की पहचान पर
उनकी शिकायत के पीछे
बाहर देख लेने की कमजोर धमकी
रामानन्द सर की घंटी में
खाँसने के एवज में ढाई मतर्बा ब्लेकबोर्ड पर
नाक रगड़ने
अथवा पौने तीन मतर्बा साँस लेने की मुकर्रर सजा

लड़कियों को पटाने या उनके
समक्ष स्मार्ट दिखने के मामले में
अगली पंक्ति फिर भी महत्त्वपूर्ण होती

विज्ञान व गणित में सामान्य से थोड़ी ऊँची
अव्वलता वाले छात्र
जहाँ झिटक लेते पदकों की माफिक
उनकी मुस्कुराहटें
और कॉपियों की अदला-बदली के क्रम में
करते आशुलिपीय वार्ताएँ
वहीं लड़कियाँ अपनी देह की गंध में करतीं
उनकी उपस्थिति का भरपूर एहसास

अब वे सभी बातें शामिल नहीं
अगली पंक्ति में बैठने के क्रम में

५ दिसंबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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