अनुभूति में
सतपाल ख़याल की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
इल्लाजिकल प्ले
केवल होना
गुजारिश
चला जा रहा था
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सियासत
नई रचनाओं में-
क्या है उस पार
जब इरादा
जाने किस बात की
दिल दुखाती थी
बदल कर रुख़
अंजुमन में-
इतने टुकड़ों में
लो चुप्पी ली साध
संकलन में-
होली है-
रंग
न छूटे प्रेम का
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बात छोटी
सी है
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सियासत
सियासत की चिल्म
भरता है कानून
और न्याय, आँख पर पट्टी बाँध कर
सियासती जूतों के फीते बाँधता है, जनाब
दुबक पर बैठ जाओ घर पर
कल सुबह काम पर भी तो जाना है
१ दिसंबर २०१८ |