अनुभूति में
सतपाल ख़याल की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
इल्लाजिकल प्ले
केवल होना
गुजारिश
चला जा रहा था
विज्ञापन
सियासत
नई रचनाओं में-
क्या है उस पार
जब इरादा
जाने किस बात की
दिल दुखाती थी
बदल कर रुख़
अंजुमन में-
इतने टुकड़ों में
लो चुप्पी ली साध
संकलन में-
होली है-
रंग
न छूटे प्रेम का
-
बात छोटी
सी है
|
|
लो चुप्पी ली
साध
लो चुप्पी साध ली माहौल ने सहमे
शजर बावा
किसी तूफ़ान की इन बस्तियों पर है नज़र बावा
है अब तो मौसमों में ज़हर खुलकर सांस कैसे लें
हवा है आजकल कैसी तुझे कुछ है खबर बावा
ये माथा घिस रहे हो जिस की चौखट पर बराबर तुम
उठा के सर जरा देखो है उस पर कुछ असर बावा
न है वो नीम, न बरगद, न है गोरी सी वो लड़्की
जिसे छोड़ा था कल मैंने यही है वो नगर बावा
न कोई मील पत्थर है जो दूरी का पता दे दे
ये कैसी है डगर बावा ये कैसा है सफ़र बावा
२६ मई २००८ |