प्रमोद कुमार कुश 'तनहा'
जन्म : ५ जुलाई १९५५ को ग्राम सबदलपुर,
जिला सहारनपुर, उ प़्र में।
शिक्षा : एम. टेक. आई. आई. टी. दिल्ली
संप्रति : निदेशक भारतीय मानक ब्यूरो, अहमदाबाद, गुजरात भारत।
गीतकार : फ़िल्म 'गैंगस्टर', 'दिल में हैं तू ही तू', 'कातिल कौन', 'तो
प्यार हुआ क्यों' आदि।
अल्बम : 'महकती यादें', 'कुछ लमहे', 'जय हनुमान' आदि।
पुरस्कार : सर्वश्रेष्ठ कवि, अभिनेता एवं लेखक, आई. आई. टी. दिल्ली वर्ष
१९७८-१९८०, अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता वर्ष २०००, साहित्य लोक, गुजरात का डॉ.
प्रभा शर्मा स्मृति पुरस्कार, वर्ष २०००।
सम्मान : हिंदी, उर्दू एवं साहित्य की सेवाओं के लिए अखिल भारतीय सद्भावना
ट्रस्ट गुजरात का वर्ष २००४ का सुधा-वाणी सम्मान। 'भ्रम के दायरे' पुस्तक के लिए
श्री देवानंद का प्रशस्ति-पत्र।
अन्य क्षेत्र : नाटक लेखन, निदेशन, अभिनय, मंच संचालन, गायन एवं संगीत
समायोजन। दूरदर्शन, राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों व मुशायरों में सफल प्रस्तुतीकरण एवं
संचालन, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। अंक-शास्त्र,
ज्योतिष-शास्त्र एवं हस्त-रेखा आदि विषयों में सक्रिय।
ईमेल :
peekaykush@yahoo.co.uk
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अनुभूति में
प्रमोद कुमार कुश तनहा की रचनाएँ-
नई ग़ज़लें-
आग अश्कों से लगा लेंगे
दरो दीवार की हद से निकल के
रात हमने नींद ली
हम ये समझे थे
अंजुमन में-
ग़म नहीं है चांद की तलाश में
फिर वही तनहा सफ़र
बाज़ार चल रहा है
बेशक हुआ करे
सर आसमाँ पे रख
वो कहीं टकराएँ तो
सिर्फ़ हम थे
हम चल दिए
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