आग अश्कों से लगा लेंगे
आग अश्कों से हम लगा लेंगे
उनके दामन से फिर हवा लेंगे
सिर्फ़ मुड़-मुड़ के देखते जाओ
बेवफ़ाई का ग़म उठा लेंगे
सोच पे आपकी हुकूमत है
एक शायर से और क्या लेंगे
आप बैठे हैं दिल के शीशे में
हाले - दिल आपको सुना लेंगे
आप 'तनहा' का साथ दे दें तो
जश्ने-महफ़िल को हम चुरा लेंगे
२५ फ़रवरी २००८
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