हम ये समझे थे
हम ये समझे थे वो हमारे थे
हम इसी सोच के सहारे थे
मेरे दामन में कुछ दुआएँ थीं
मेरे आँगन में चाँद तारे थे
हुस्न और मौज से वही छूटे
जिनकी तक़दीर में किनारे थे
रात को तो सुकून मिलना था
हमने काँटों पे दिन गुज़ारे थे
ख़्वाब की उस गली पे जाँ सदके
जिस गली क़ाफ़िले तुम्हारे थे
२५ फ़रवरी २००८
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