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अनुभूति में चाँद शेरी की रचनाएँ—

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बरसात होगी
लोग जिसको ताज पहनाने चले
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अमृत का पियाला
आज का रांझा
चंदन तन
मुल्क
वक्त भी कैसी पहेली
शहरे वफ़ा

 

लोग जिसको ताज पहनाने चले

लोग जिसको ताज पहनाने चले
हाथ अपने खुद ही बँधवाने चले

मंदिरों के मस्जिदों के आदमी
बस्तिया यों ही उजड़वाने चले

चंद सिक्कों के लिए वो सिरफिरे
आदमियत को ही बिकवाने चले

धूप की चादर में लिपटे वो गरीब
नाम बेकारों में लिखवाने चले

राम तेरी सरज़मी में लोग अब
नफरतों की आग फ़ैलाने चले

लोग अपनी वहशियाना भूख में
आदमी को भूनकर खाने चले

खून की खबरों से तर अखबार में
लो ग़ज़ल ‘शेरी’ भी छपवाने चले

२४ दिसंबर २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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