अनुभूति में
चाँद शेरी की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने जीवन में
काले काले बादल भी ला
बरसात होगी
लोग जिसको ताज पहनाने चले
सहमी सहमी
अंजुमन में—
अमृत का पियाला
आज का रांझा
चंदन तन
मुल्क
वक्त भी कैसी पहेली
शहरे वफ़ा
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अमृत का पियाला
तू न अमृत का पियाला दे हमें
सिर्फ रोटी का निवाला दे हमें।
जिसको पढ़ कर एक हों अहले – वतन
वो मुहब्बत का रिसाला दे हमें।
ढू.ंढ़ लें जु.ल्मत में मंज़िल के निशां
या खुदा! इतना उजाला दे हमें।
सीख पाएं हम जहां इन्सानियत
कोई ऐसी पाठशाला दे हमें।
एक दर हों एक जिन का आस्तां
ऐसी मस्जिद दे शिवाला दे हमें।
दिल मगर उजला हो पारस की तरह
जिस्म गोरा दे कि काला दे हमें।
और कुछ चाहे न दे 'शेरी' मगर
शायरी का फ़न निराला दे हमें।
१५ अगस्त २००४
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