अनुभूति में
चाँद शेरी की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने जीवन में
काले काले बादल भी ला
बरसात होगी
लोग जिसको ताज पहनाने चले
सहमी सहमी
अंजुमन में—
अमृत का पियाला
आज का रांझा
चंदन तन
मुल्क
वक्त भी कैसी पहेली
शहरे वफ़ा
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पाकर चंदन तन
पाकर चन्दन तन की खुशबू
महकी घर आँगन की खुशबू।
ले कर आई ऋतु मतवाली
अधरों से चुम्बन की खुशबू।
मीरां के गीतों – छन्दों से
आती है मोहन की खुशबू।
मां के उस पावन आँचल से
आती है बचपन की खुशबू।
सूखे बरगद से भी इक दिन
आऐगी सावन की खुशबू ।
बाक़ी है टूटे रिश्तों से
बरसों के बन्धन की खुशबू ।
मेरी साँसों में है 'शेरी'
मेरे निर्मल मन की खुशबू ।
१५ अगस्त २००४
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