अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में चाँद शेरी की रचनाएँ—

नई रचनाओं में-
अपने जीवन में
काले काले बादल भी ला
बरसात होगी
लोग जिसको ताज पहनाने चले
सहमी सहमी

अंजुमन में—
अमृत का पियाला
आज का रांझा
चंदन तन
मुल्क
वक्त भी कैसी पहेली
शहरे वफ़ा

 

 

पाकर चंदन तन

पाकर चन्दन तन की खुशबू
महकी घर आँगन की खुशबू।

ले कर आई ऋतु मतवाली
अधरों से चुम्बन की खुशबू।

मीरां के गीतों – छन्दों से
आती है मोहन की खुशबू।

मां के उस पावन आँचल से
आती है बचपन की खुशबू।

सूखे बरगद से भी इक दिन
आऐगी सावन की खुशबू ।

बाक़ी है टूटे रिश्तों से
बरसों के बन्धन की खुशबू ।

मेरी साँसों में है 'शेरी'
मेरे निर्मल मन की खुशबू ।

१५ अगस्त २००४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter