अनुभूति में
चाँद शेरी की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने जीवन में
काले काले बादल भी ला
बरसात होगी
लोग जिसको ताज पहनाने चले
सहमी सहमी
अंजुमन में—
अमृत का पियाला
आज का रांझा
चंदन तन
मुल्क
वक्त भी कैसी पहेली
शहरे वफ़ा
|
|
आज का रांझा
आज का रांझा हीर बेच गया
हीरे जैसा ज़मीर बेच गया।
इक कबाड़ी को वो निरा जाहिल
मीर तुलसी कबीर बेच गया।
सोने चाँदी के भाव व्यापारी
दे के झाँसा कथीर बेच गया।
इक क़बीले की शान रखने को
अपनी बेटी वज़ीर बेच गया।
बाप दादा की उस हवेली को
एक अय्याश अमीर बेच गया।
कह के 'शेरी' उसे चमत्कारी
कोई पत्थर फ़क़ीर बेच गया।
१५ अगस्त २००४
|