अपने जीवन में
अपने जीवन में सादगी रखना आदमियत की शान भी रखना बंद जेहनो के दर-दरीचो से तुम न उम्मीदे-रौशनी रखना डस न ले आस्तीन के साँप कही इन से महफूज़ जिंदगी रखना हो खुले दिल तो कुछ नहीं मुश्किल दुश्मनों से भी दोस्ती रखना मुस्तकिल रखना मंजिले-मकसूद अपनी मंजिल न आरजी रखना ए सुखनवर नए ख्यालों की अपने शेरों में ताजगी रखना अपनी नजरों के सामने ‘शेरी’ ‘मीरो-ग़ालिब’ की
शायरी रखना
२४ दिसंबर २०१२ |