अनुभूति में
चाँद शेरी की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने जीवन में
काले काले बादल भी ला
बरसात होगी
लोग जिसको ताज पहनाने चले
सहमी सहमी
अंजुमन में—
अमृत का पियाला
आज का रांझा
चंदन तन
मुल्क
वक्त भी कैसी पहेली
शहरे वफ़ा
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बरसात होगी
बरसात होगी अश्क की मेरे लिए कभी।
रोया करेंगे आप भी मेरे लिए कभी।
ढक जायेगी गुलों से मेरी क़ब्र देखना,
ऐसी बहार आएगी मेरे लिए कभी।
ऐ ज़ख़्म दे के भूलने वाले ज़रा बता,
मरहम की तूने फ़िक्र की मेरे लिए कभी।
दोज़ख़ बनी है आज वो मेरे फ़िराक़ में,
दुनिया जो एक स्वर्ग थी मेरे लिए कभी।
'शेरी' न था खयाल कि महँगी पड़ेगी यों,
इक बेवफ़ा की दोस्ती मेरे लिए कभी।
२४ दिसंबर २०१२
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