अनुभूति में
चाँद शेरी की रचनाएँ—
नई रचनाओं में-
अपने जीवन में
काले काले बादल भी ला
बरसात होगी
लोग जिसको ताज पहनाने चले
सहमी सहमी
अंजुमन में—
अमृत का पियाला
आज का रांझा
चंदन तन
मुल्क
वक्त भी कैसी पहेली
शहरे वफ़ा
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काले काले बादल भी ला
काले-काले बादल
भी ला
उन नयनों का काजल भी ला
सच को ताले में रखना है
दरवाजे़ की साँकल भी ला
सावन की रिमझिम-रिमझिम में
छम-छम करती पायल भी ला
सूरज लेकर आने वाले
छाया वाला पीपल भी ला
भर कर ऊपर तक उल्फ़त से
अपने मन की छागल भी ला
मीठी-मीठी बोली बोले
घर में ऐसी कोयल भी ला
’शेरी‘ अपनी ग़ज़लों में अब
गंगा-जमुना-चंबल भी ला।
२४ दिसंबर २०१२
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