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अनुभूति में अरुण तिवारी 'अनजान'  की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
कैसी ये दोस्ती है
झूठे आँसू 
पलते काले नाग
मुर्गा हुआ हलाल
सितम बाग़बानों, ने

अंजुमन में-
अब इस तरह से मुझको
आइना
आँख का काजल
आग पानी
क्यों लोग मुहब्बत से
कुछ तो करो कमाल
दिल अब भी तुम्हारा है
नयन टेसू बहाते हैं
पहले से नहीं मिलते
हर चाल जमाने की

 

मुर्गा हुआ हलाल

मुर्गा हुआ हलाल, कि भैया जय बोलो
कितना ताज़ा माल, कि भैया जय बोलो

बस्ती सारी जल कर पल में राख हुई
किसने किया कमाल कि भैया जय बोलो

सबको अपनी ही चिन्ता, सब फेंक रहे
अपने-अपने जाल, कि भैया जय बोलो

छंटे हुये सब, सरकारों में चले गये
गलती सबकी दाल, कि भैया जय बोलो

फूँक-फूँक कर पाँव, रखें हम सीधे लोग
उनकी तिरछी चाल, कि भैया जय बोलो

१ अक्तूबर २०१८