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आलोक श्रीवास्तव

 

जन्म : ३० दिसंबर १९७१ को शाजापुर म. प्र. में, मगर पिछले २५ वर्षों से म. प्र. के ऐतिहासिक नगर विदिशा में स्थायी निवास।
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिंदी)

प्रकाशन : हंस, कथादेश, वागर्थ, इंडिया टुडे व आउटलुक सहित साहित्य की सभी शीर्ष पत्रिकाओं में ग़ज़लें, कहानियाँ व समीक्षात्मक लेख प्रकाशित। कविता के कई समवेत संग्रहों, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विशेषांकों में ग़ज़लें समाहित।

संपादित पुस्तकें : नई दुनिया को सलाम (लंबी ड्रामाई नज़्म) : अली सरदार जाफ़री
अफ़ेक्शन (ग़ज़ल संग्रह) : बशीर बद्र
हमकदम (काव्य संग्रह) : निदा फ़ाज़ली

अतिथि संपादक : अक्षर पर्व मासिक के विशेषांक वर्ष २००० में ग़ज़ल खंड के अतिथि संपादक।
अक्षर पर्व मासिक के विशेषांक वर्ष २००२ में कविता खंड का अतिथि संपादक।

विविध : प्रतिष्ठित पार्श्व व ग़ज़ल गायकों द्वारा गीत व ग़ज़ल गायन। फ़िल्म व टी.वी. धारावाहिकों में गीत व कथा लेखन। इंडो पाक सहित कई अ.भा. मुशायरों में शिरकत।दूरदर्शन व आकाशवाणी में भी ग़ज़लपाठ।

सम्मान : ग़ज़ल विधा के लिए वर्ष २००० का अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान।

संप्रति : न्यूज़ चैनल आजतक में न्यूज़ प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत।
जालघर :
www.indiaoye.com/artists/aalokshrivastav.htm
ई-मेलः
aalokansh@yahoo.com

 

अनुभूति में आलोक श्रीवास्तव की रचनाएँ-

नई ग़ज़लें-
झाँकता है
मंज़िल पे ध्यान
मंज़िलें क्या हैं
याद आता है
सारा बदन

अंजुमन में-
अगर सफ़र में
ठीक हुआ

तुम सोच रहे हो
पिया को जो न मैं देखूँ
बूढ़ा टपरा
मैंने देखा है
ज़रा पाने की चाहत में
झिलमिलाते हुए दिन रात
ये सोचना ग़लत है
हम तो ये बात जान के
हरेक लम्हा

संकलन में-
ममतामयी-अम्मा
पिता की तस्वीर-बाबू जी

दोहों में-
सात दोहे

 

 

 

 

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