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सहसा
आज तुम्हारी आई याद,
मन में गूँजा अनहद नाद!
बरसों बाद
बरसों बाद!
साथ तुम्हारा केवल सच था,
हाथ तुम्हारा सहज कवच था,
सब-कुछ पीछे छूट गया, पर
जीवित पल-पल का उन्माद!
आज तुम्हारी आई याद!
बीत गए युग होते-होते,
रातों-रातों सपने बोते,
लेकिन उन मधु चल-चित्रों से
जीवन रहा सदा आबाद!
आज तुम्हारी आयी याद!
२३ फरवरी २००९ |