रविशंकर
जन्म- १९५८ में ग्राम
छीबों, ज़िला चित्रकूट, उत्तर प्रदेश में।
शिक्षा - प्रारंभिक
शिक्षा गाँवों से होती हुई एम. एस सी. (वनस्पति विज्ञान) तथा डी.
फिल. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से।
कार्यक्षेत्र : १९८६ में उत्तर प्रदेश की सिविल सेवा
परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए लोक सेवक के रूप में
कार्यरत तथा १९९१ में सराहनीय कार्यो के लिए राष्ट्रपति द्वारा
रजत पदक, पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। कविताएँ, गीत,
साहित्यिक एवं वैज्ञानिक लेख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।
प्रकाशित कृतियाँ -
मृदा विज्ञान - मिट्टी को उपजाऊ कैसे बनाएँ
पर्यावरण - पर्यावरण शिक्षा
काव्यसंग्रह - अंधड़ में दूब
यहाँ प्रकाशित सभी रचनाएँ 'अंधड़ में दूब' से। |
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अनुभूति में
रविशंकर की रचनाएँ —
नए गीत-
अनुवाद हुई ज़िंदगी
एक विमूढ़ सदी
खो गई आशा
गाँव और घर का भूगोल
जल रहा है मन
बीते दिन खोए दिन
हम शब्दों के सौदागर हैं
अंजुमन में-
ग़ज़ल
छंदमुक्त में-
इस अंधड़ में
पौ फटते ही
गीतों में-
एक अदद भूल
गहराता है एक कुहासा
पाती परदेशी की
भाग रहे हैं लोग सभी
ये अपने पल
हम अगस्त्य के वंशज
संकलन में-
गाँव
में अलाव – दिन गाढ़े के आए
प्रेमगीत –
यह सम्मान
गुच्छे भर अमलतास – जेठ आया
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