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पहला सबक
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बयान
मेरे ख्वाब
लड़कियाँ उदास हैं
हैरतंगेज़
रेलवे प्लेटफ़ार्म

 

मेरे ख़्वाब

मैं देखता हूँ ख़्वाब
और सोचता हूँ
इन ख़्वाबों को
छूपा कर रखूँ
अपनी पलकों की ओट में
मैं नहीं चाहता
कोई देख सके
मेरे इन ख़्वाबों को
और हैरान हो
किक यह आदमी
देख लेता है
ऐसे-ऐसे ख़्वाब भी

१४ दिसंबर २००९

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