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अनुभूति में योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' की रचनाएँ

नए गीतों में-
इस बच्चे को देखो
कई दिनों से
जीवन में हम
दिल्ली भी अब पहले जैसी
नन्ही चिड़िया

गीतों में-
आज अपने गाँव में
आना जाना छोड़ दिया
इच्छाएँ सारी
उलझी वर्ग पहेली जैसा
कॉलोनी के लोग
छोटा बच्चा पूछ रहा है
धीरे धीरे
पीतलनगरी मुरादाबाद के लिये
पुरखों की यादें
मुश्किल भरे कँटीले पथ पर

रिश्ते बने रहे

संकलन में-
ममतामयी- कैसी है अब माँ

 

दिल्ली भी अब

दिल्ली भी अब पहले जैसी
दिल्ली नहीं रही

भूलभुलैया जैसी सड़कें
और प्रदूषण बस
बिन मंज़िल की दौड़ हो रही
मानवता बेबस
हर पल पग-पग पर जोखिम है
रोना सिर्फ़ यही

सुविधाएँ तो बढ़ीं किन्तु जीवन
फिर भी दुश्कर
झोंपड़-पट्टी की पीड़ा में
पड़ा न कुछ अन्तर
चकाचौंध में कौन सोचता
क्या है ग़लत-सही

संबंधों सपनों की सब
परिभाषाएँ बदलीं
तकनीकी युग में सबकी
अभिलाषाएँ बदलीं
संस्कृति की मीनार यहाँ पर
अनगिन बार ढही

२४ फरवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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