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अनुभूति में योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' की रचनाएँ

नए गीतों में-
आना जाना छोड़ दिया
उलझी वर्ग पहेली जैसा
छोटा बच्चा पूछ रहा है
पुरखों की यादें
रिश्ते बने रहें

गीतों में-
आज अपने गाँव में
इच्छाएँ सारी
कॉलोनी के लोग
धीरे धीरे
पीतलनगरी मुरादाबाद के लिये
मुश्किल भरे कँटीले पथ पर

संकलन में-
ममतामयी- कैसी है अब माँ
 

 

उलझी वर्ग पहेली जैसा

उलझी वर्ग पहेली जैसा
जीवन का हर पल

मन पर हावी हुईं कभी जब
भूखी इच्छाएँ
अस्त-व्यस्त-सी रहीं नित्य ही
सब दिनचर्याएँ

अब है केवल अवसादों का
दलदल ही दलदल

झूठी शान दिखाने की
ऐसी मारा-मारी
कुछ सुविधाओं की एवज में
कर्ज़ चढ़ा भारी

सिर्फ़ तनावों का मरुथल है
कहीं न दिखता जल

ढुलमुल अर्थव्यवस्था के
गहरे गड्ढे पग-पग
आश्वासन के खड़े कंगूरे
भी डगमग-डगमग

इन चुभते प्रश्नों को बोलो
कौन करेगा हल

२ अप्रैल २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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