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मुश्किल भरे कँटीले
पथ पर
मुश्किल भरे कँटीले पथ पर
युवा स्वप्न घायल
मात्र एक पद हेतु देखकर
लाखों आवेदन
मन को कुंठित करती रहती
भीतर एक घुटन
बढ़ता जाता घोर निराशा का
दलदल पल-पल
मेहनत से पढ़कर, अपनाकर
केवल सच्चाई
बुधिया के बेटे को कहाँ
नौकरी मिल पाई
अपने-अपने स्वार्थ सभी के
अपने-अपने छल
रोज़गार के सिमट रहे जब
सभी जगह अवसर
और हो रहा जीवन-यापन
दिन-प्रतिदिन दुश्कर
समझ न आता निकले कैसे
समीकरण का हल
६ सितबंर २०१० |