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रिश्ते बने रहें
चलो करें कुछ कोशिश ऐसी
रिश्ते बने रहें
रिश्ते जिनसे सीखी हमने
बोली बचपन की
सम्बन्धों की परिभाषाएँ
भाषा जीवन की
कुछ भी हो, ये अपनेपन के
रस में सने रहें
बंद खिड़कियाँ दरवाज़े सब
कमरों के खोलें
हो न सके जो अपने, आओ
हम उनके हो लें
ध्यान रहे ये पुल कोशिश के
ना अधबने रहें
यही सत्य है ये जीवन की
असली पूँजी हैं
रिश्तों की ख़ुशबुएँ गीत बन
हर पल गूँजी हैं
अपने अपनों से पल-भर भी
ना अनमने रहें
२ अप्रैल २०१२ |