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अनुभूति में योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' की रचनाएँ

नए गीतों में-
आना जाना छोड़ दिया
उलझी वर्ग पहेली जैसा
छोटा बच्चा पूछ रहा है
पुरखों की यादें
रिश्ते बने रहें

गीतों में-
आज अपने गाँव में
इच्छाएँ सारी
कॉलोनी के लोग
धीरे धीरे
पीतलनगरी मुरादाबाद के लिये
मुश्किल भरे कँटीले पथ पर

संकलन में-
ममतामयी- कैसी है अब माँ
 

 

रिश्ते बने रहें

चलो करें कुछ कोशिश ऐसी
रिश्ते बने रहें

रिश्ते जिनसे सीखी हमने
बोली बचपन की
सम्बन्धों की परिभाषाएँ
भाषा जीवन की
कुछ भी हो, ये अपनेपन के
रस में सने रहें

बंद खिड़कियाँ दरवाज़े सब
कमरों के खोलें
हो न सके जो अपने, आओ
हम उनके हो लें
ध्यान रहे ये पुल कोशिश के
ना अधबने रहें

यही सत्य है ये जीवन की
असली पूँजी हैं
रिश्तों की ख़ुशबुएँ गीत बन
हर पल गूँजी हैं
अपने अपनों से पल-भर भी
ना अनमने रहें

२ अप्रैल २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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