आना जाना छोड़ दिया
मुनिया ने पीहर में आना-
जाना छोड़ दिया
ना पहले जैसा अपनापन
ना ही प्यार दिखा
फ़र्ज़ कहीं ना दिखा; दिखा तो
बस अधिकार दिखा
चिट्ठी ने भी माँ का हाल
बताना छोड़ दिया
वृद्ध पिता का बरगद-सा जब
साया नहीं रहा
मिट्ठू ने भी राम-राम तक
मन से नहीं कहा
ममता ने भी भावों को
दुलराना छोड़ दिया
बीते कल को सोच-सोचकर
नयन हुए गीले
कच्चे धागे के बंधन भी
पड़े आज ढीले
चावल ने रोली का साथ
निभाना छोड़ दिया
२ अप्रैल २०१२ |