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आज
अपने गाँव में
क्या चचा तुमको पता है,
लोग ऐसा कह रहे
एक दहशात है अजब-सी,
आज अपने गाँव में
खुश बहुत होकर सुबह,
कोई मुझे बतला रहा
बेचकर गेंहूँ शहर से,
गाँव वापस आ रहा
आज हरिया भी नया,
रंगीन टी.वी. ला रहा
क्या चचा तुमको पता है,
लोग ऐसा कह रहे
अब न दिखलाई पड़ेगी,
लाज अपने गाँव में
आपदाओं से सदा,
करता रहा जो सामना
गाँव के बाहर पुराना,
पेड़ पीपल का घना
अब उसे ही काटने की,
बन रही है योजना
क्या चचा तुमको पता है,
लोग ऐसा कह रहे
लग रहा कोई गिरेगी,
गाज अपने गाँव में
६ सितबंर २०१० |