किया नहीं बचाव
पाल छिने
पतवारें तोड़ता बहाव
और कहा गया,
धार में उतार नाव
हमने भी किया नहीं अन्तत: बचाव।
एक तो कठिन होता
कोई प्रण ठानना
उससे भी और अधिक
कठिन लक्ष्य साधना।
तेज़ हवा शोर घटा
लहर का घुमाव
और कहा गया
धार में उतार नाव
हमने भी किया नहीं अन्तत: बचाव।
प्राणों से निकल पिघल
आँखों में कौंधना
और स्वप्न में कोई
सच्चाई खोजना।
तार-तार सन्नाटा
भँवर का खिंचाव
और कहा गया
धार में उतार नाव
हमने भी किया नहीं अन्तत: बचाव।
आखिर किस सीमा तक
हम किसे पुकारते
और हम पराजय को
कब तक स्वीकारते।
खौफ़जदा मौसम है
तीर का कटाव
और कहाँ गया
धार में उतार नाव
हमने भी किया नहीं अन्तत: बचाव।
१ जुलाई २००५
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