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अनुभूति में विनोद श्रीवास्तव की रचनाएँ-

गीतों में-
एक ख़ामोशी
किया नहीं बचाव
केवल अक्षर
गीत हम गाते नहीं
जैसे तुम सोच रहे साथी
छाया में बैठ
नदी का सपना
नदी के तीर पर ठहरे
प्यार लिखो हत्या लिख जाए
प्यास को मानसरोवर
बाँह में बाँह
रेत भर गया है
शाम सुबह महकी हुई

संकलन में-
हिंदी के १०० सर्वश्रेष्ठ प्रेमगीत-कौन मुसकाया

 

गीत हम गाते नहीं

गीत!
हम गाते नहीं तो
कौन गाता?
ये पटरियाँ
ये धुआँ
उस पर अंधेरे रास्ते
तुम चले जाओ यहाँ
हम हैं तुम्हारे वास्ते।
गीत!
हम आते नहीं तो
कौन आता?

छीनकर सब ले चले
हमको
हमारे शहर से
पर कहाँ सम्भव
कि बह ले
नीर
बचकर लहर से।
गीत!
हम लाते नहीं तो
कौन लाता?

प्यार ही छूटा नहीं
घर-बार भी
त्यौहार भी
और शायद छूट जाए
प्राण का आधार भी।
गीत
हम पाते नहीं
तो कौन पाता?

१ जुलाई २००५

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