एक खामोशी
एक खामोशी
हमारे बीच है
तुम कहो तो
तोड़ दूँ पल में।
सिरफिरी तनहाइयों का
वास्ता हमसे न हो
जो कहीं जाए नहीं
वह रास्ता हमसे न हो।
एक तहखाना
हमारे बीच है
तुम कहो तो
बोर दूँ जल में।
फूल हैं, हैं घाटियाँ भी
पर कहाँ खुशबू गई
क्यों नहीं आती शिखर से
स्नेहधारा अनछुई।
एक सकुचाना
हमारे बीच है
तुम कहो तो
छोड़ दूँ तल में।
रूप में वय प्राण में लय
छंद साँसों में भरे
और वंशी के सहारे
हम भुवन भर में फिरें।
एक मोहक क्षण
हमारे बीच है
तुम कहो तो
रोप दूँ कल में।
१ जुलाई २००५
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