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अनुभूति में श्याम निर्मम की रचनाएँ

गीतों में-
क्यों सिंगार बिखरा-बिखरा
जितना खेल सकता खेल
जीते हुए हार जाते हैं
तुम अमर बनो
दिखे नहीं छाया
पूरा देश हमारा घर
मौन किसका दोष
रोशनी का तूर्य बन
वो आँखों की पुतली
सुख हमको डाँटे
 

 

क्यों सिंगार बिखरा-बिखरा

पानी पर धूप की फुहार इन्द्रधनुष
उभरा-उभरा!

टिमक-टिमक
गुलमोहर झरता,
आँखों में रंगीनी भरता,
अपशकुनों से डरता-डरता
किरणों की
ज्योतित नगरी में रूपकलश
निखरा-निखरा!


ठुमक-ठुमक
प्यास गले उतरी,
मेघों की पालकी में बैठी
इक परी, पर वो भी कितनी
डरी-डरी रूपसी लगी
बैरागिन-सी क्यों सिंगार
बिखरा-बिखरा ?

२८ जनवरी २०१३

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