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डॉ. श्याम निर्मम

जन्म: १ अगस्त, १९५० को सिकन्दराबाद, उ.प्र. में
शिक्षा: बी.एससी., एम.ए. (हिन्दी), पी.एचडी. पत्रकारिता में डिप्लोमा।

कार्यक्षेत्र:
पत्रकार, कवि एवं उद्यमी डॉ. श्याम निर्मम 'पालिका समाचार' के संपादक रहे थे और 'अनुभव प्रकाशन' के मालिक थे। देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख, कहानी, कविता, समीक्षा आदि का प्रकाशन हुआ था। अनेक महत्वपूर्ण समवेत संकलनों जैसे नवगीत अर्द्धशती, गजलें ही गजलें, यात्रा में साथ-साथ, सप्तपदी-३ आदि में उनके गीत-नवगीत, गजल एवं दोहों का संकलन किया गया है। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के अनेक केन्द्रों से गीतों एवं वार्ताओं का प्रसारण हुआ था तथा उन्होंने अनेक अखिल भारतीय काव्य मंचों से गीतों का पाठ भी किया था।

प्रकाशित कृतियाँ:
हाशिये पर हम (नवगीत संग्रह)
सम्पादन: सादृश्य, वीरेन्द्र मिश्र की कृतियों-गीत पंचम, बरसे रस की फुहार, चंदन है माटी मेरे देश की, गीत विविधा आदि का सम्पादन अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित।

विगत २४ दिसंबर २०१२ को उनका निधन हो गया।

 

अनुभूति में श्याम निर्मम की रचनाएँ

गीतों में-
क्यों सिंगार बिखरा-बिखरा
जितना खेल सकता खेल
जीते हुए हार जाते हैं
तुम अमर बनो
दिखे नहीं छाया
पूरा देश हमारा घर
मौन किसका दोष
रोशनी का तूर्य बन
वो आँखों की पुतली
सुख हमको डाँटे
 

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