प्रेम में भीगे हुए कुछ फूल
तुम्हारा साथ
देंगे दूर तक
प्रेम में भीगे हुए कुछ फूल
अपने सूखने के
बाद भी
पंखुरी पर
बाँसुरी से गीत गाते पल रहेंगे
रंग फीके हो भले पर प्यार के संबल रहेंगे
गंध मीठी सी मधुर मकरंद की यों ही रहेगी
हाँ, समय के बीतने के
बाद भी
था कहा तुमने
जो बिछुड़ेंगे तो मिल न पायेंगे
बस समय की धार में डूबेंगे और बह जायेंगे
क्यों मगर उतना लबालब ही भरा है
प्रेम का घट रीतने के
बाद भी
जिन लकीरों ने
लिखी थी हाथ और माथे पे खुशबू
वक्त ने पानी मिला कर धो दिया किस्मत का जादू
एक अरसा हो गया पर दिल नहीं बदला
अभी भी साथ तेरा छूटने के
बाद भी
३ फरवरी २०१४
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