एक तिनके का सहारा
सूखती आँखों की पलकें ढूढती हैं
एक तिनके का सहारा
झुक गए अरमान सारे
एक डाली बोझ की क्या आ गयी
भूल बैठे खुद को भी
कैसी ये अंधियारि इतनी छा गयी
कौन भीतर
कर रहा इतना जतन
उठ जाऊँ मैं फिर से दुबारा
सूखती आँखों की
पलकें
ढूढती हैं एक तिनके का सहारा
बज रहा है गीत कोई
हाँ निरंतर गूँजता है कान में
एक मुसाफिर है भटकता
जूझता है मेरे ही मन - प्राण में
हो गए
सब पार मेरा हाथ थामे
पर नहीं पाता मैं खुद से ही किनारा
सूखती आँखों की पलकें
ढूढती हैं एक तिनके का सहारा
२९ अक्तूबर २०१२
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