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अनुभूति में रोहित रूसिया की रचनाएँ-

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एक पंछी ढूँढता है
क्या कहें क्या ना कहें
जब भी लिखना जो भी लिखना
प्रेम में भीगे हुए कुछ फूल

सिकुड़ गई क्यों

गीतों में-
अब नहीं आतीं
एक तिनके का सहारा
नदी की धार सी संवेदनाएँ
बाहर आलीशान
मेरा छूट गया गाँव
है कौन जो भीतर रहता है

 

जब भी लिखना

जब भी लिखना जो भी लिखना
कुछ नया लिखना

जब कोई पूछे कि आँगन की
थकन का
क्या करें ?
तुम तो बस
कोयल –गौरैया
और बया लिखना

जब भी लिखना जो भी लिखना
कुछ नया लिखना

गम अपरिचित ने भी
बाँटे,पर
खुशी के दौर में
कौन अपना
साथ तेरे
खुश हुआ लिखना

जब भी लिखना जो भी लिखना
कुछ नया लिखना

३ फरवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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