शब्द सभी पथराए
बहुत कठिन संवाद समय से
शब्द सभी पथराए
हम ने शब्द लिखा था- 'रिश्ते'
अर्थ हुआ बाज़ार
'कविता' के माने ख़बरें हैं
'संवेदन' व्यापार
भटकन की उँगली थामे हम
विश्वग्राम तक आए
चोर-संत के रामायण के
अपने-अपने 'पाठ'
तुलसी-वन को फूँक रहा है
एक विखंडित काठ
नायक के फंदा डाले
अधिनायक मुसकाए
ऐसा जादू सिर चढ़ बोला
गूँगा अब इतिहास
दाँत तले उँगली दाबे हैं
रत्नाकर या व्यास
भगवानों ने दरवाज़े पर
विज्ञापन लटकाए
16 फरवरी 2007
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