अनुभूति में
गणेश गंभीर की रचनाएँ
नयी रचनाओं में-
अजब आदमी
धर्म पुराना
पेड़ पीपल का
समय इन दिनों
अंजुमन में-
चाँदनी में लेटना
ठंडी ठंडी फुहार
जीवन एक अँधेरा कमरा
ये पौधे पेड़ बनेंगे
लगाकर आग जंगल में
गीतों में-
इच्छा
नदी
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ठंडी ठंडी फुहार
चेहरे पर
ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर
आ गयी है बहार चेहरे पर
एक संदेह सर उठाता है,
रंग आये हजार चेहरे पर !
झुर्रिया चादरें हैं फूलो की,
बन गयी इक मजार चेहरे पर
लाश पाई गयी सुधारों की,
दाग थे बेशुमार चेहरे पर!
आज गम्भीर लिख ही डालेगा,
अपने सारे विचार चेहरे पर !
२३ जुलाई २०१२ |